My Blog List

Friday, July 16, 2010

*****
आना था जिन्हें दिल में, वो सरे-बाम आते रहे
सही पते से हमेशा ग़लत पैग़ाम आते रहे

क्या कहें ! दिल ही दिल में वो गुज़री है क़यामत
इस ज़रा से किनारे पे कितने तूफ़ान आते रहे

छुप के देखा तो नज़र नूर से भर सी गयी
मेरी आँखों में साए से रौशन तमाम आते रहे

कानो में आ के बनते रहे नग्मे हर लफ्ज़ उनके
एक उम्र तक जिन्हें सुबह- शाम गुनगुनाते रहे

हम तड़पते रहे और उन्हें लुत्फ़ आया किया
उनकी तरफ से मेरे लिए दौर नाकाम आते रहे

जो गुजरा है यही तुझपे तू ग़म क्यों करे है
राहे उल्फत के तजुर्बे इस जहां में काम आते रहे .
******