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Wednesday, November 16, 2011


इक राज़ ज़िन्दगी का यूं बयान होता है


इक   राज़   ज़िन्दगी  का   यूं    बयान   होता   है 
कि  जैसे  हर  सांस  पर  एक   इम्तिहान  होता  है 

दुश्मनी  का  दौर  हो  या  फिर दोस्ती  का आलम 
दोनों   ही  जगह  पर  अपनों  का   नाम   होता  है 

दिल में आरजू हो ख़ुशी की, या ग़मों की शिकायत 
दिल  है  कि  हर  हाल  में  बस  परेशान   होता   है 

हर एक  पहलू ज़िन्दगी का  यूं पलट आया  सामने 
जैसे  अपने  ही  दिल का  खुद पे  एहसान  होता  है 

आसान  हैं  ख्वाहिशें , बहोत  मुश्किल  हैं  कोशिशें 
जीना भी  मुश्किल नहीं  मरना ग़र आसान होता है 

                                              -श्रीनिवास  (08.July.2002)

Saturday, January 15, 2011

"राम द्वारा सीता को तड़ीपार उचित था "

 राजनीति- विज्ञान पढ़ते समय अचानक बरसों पुराने प्रश्न का सही उत्तर सूझ गया .  प्रश्न यह था कि राम द्वारा सीता को वनवास  का औचित्य  क्या था ?  बहोत समय तक ये प्रश्न मुझे राम कि मूर्ति  के सामने करबद्ध होने से रोकता था.  आज जो जवाब मिला है वो अद्भुत है अतः आप  सब से बांटना ठीक समझा.   राजा और राज-परिवार के लिए  " लोक-कल्याण" की कीमत पर व्यक्तिगत न्याय की आपेछा और मांग अनुचित है, और उसका महत्व नगण्य  है .  सीता का निष्कासन राम की लोक-मर्यादा  की दृष्टि से आवश्यक था . राजा द्वारा  आवाम में गलत सन्देश नहीं जाना चाहिए , यही आदर्श अपनाया गया है. आज के राजनेताओं को इससे  सीख लेनी चाहिए.  "मर्यादा-पुरुषोत्तम" इसी वजह से तो कहा गया है .